एक
घने जंगल में एक छोटी सी
चिड़िया रहती थी। वह मेहनती थी
और उसने एक बड़े पेड़
की ऊंची शाखा पर अपना घोंसला
बनाया था। यह घोंसला उसकी
कड़ी मेहनत और प्रेम का
परिणाम था। उसने बड़े जतन से सूखी टहनियों,
पत्तों और रेशों का
उपयोग करके अपना घर तैयार किया
था। घोंसला उसके लिए सिर्फ रहने की जगह नहीं
था, बल्कि वह उसके बच्चों
का भी आश्रय स्थल
था।
एक
दिन अचानक से मौसम बदल
गया। काले बादल घिर आए और तेज
हवा के साथ भीषण
तूफान शुरू हो गया। चिड़िया
अपने घोंसले में दुबकी बैठी रही,
लेकिन तेज हवाओं के आगे उसका
छोटा सा घोंसला कमजोर
पड़ गया। जब तूफान थमा,
तो चिड़िया ने देखा कि
उसका प्यारा घोंसला बुरी तरह से टूट चुका
था। वह घबरा गई
और उसकी आंखों में आंसू भर आए।
उसने
सोचा कि शायद उसका
दुर्भाग्य है कि उसकी
सारी मेहनत बर्बाद हो गई। उसी
पेड़ पर एक सांप
भी रहता था, जो अक्सर चिड़िया
के घोंसले की ओर बुरी
नज़र से देखता था।
जब तूफान आया, तो वह सांप
अपने बिल से बाहर नहीं
निकला, लेकिन उसे इस बात की
खुशी थी कि तूफान
ने चिड़िया का घर बर्बाद
कर दिया।
चिड़िया
दुखी होकर बैठी थी, तभी उसे ईश्वर की आवाज सुनाई
दी। ईश्वर ने कहा, "प्यारी
चिड़िया, दुखी मत हो। यह
तूफान तुम्हारे लिए एक संकेत था।
जिस पेड़ पर तुमने अपना
घोंसला बनाया था, उसी पर एक सांप
भी रहता है। वह तुम्हारे और
तुम्हारे बच्चों के लिए खतरा
हो सकता था। मैंने यह तूफान भेजकर
तुम्हें उस खतरे से
आगाह किया है। अब तुम एक
नया घोंसला बनाओ, लेकिन इस बार सोच-समझकर और सुरक्षित जगह
पर।"
चिड़िया
ने ईश्वर की बात सुनी
और समझ गई कि यह
घटना उसके भले के लिए थी।
उसने अपना टूटा हुआ घोंसला छोड़ दिया और एक नए,
सुरक्षित स्थान की खोज में
निकल पड़ी। थोड़ी देर बाद, उसे एक सुंदर और
मजबूत पेड़ मिला, जहां उसने फिर से अपना घोंसला
बनाया। इस बार, उसका
घोंसला पहले से भी मजबूत
था और सुरक्षित स्थान
पर था, जहां कोई भी शत्रु उसे
नुकसान नहीं पहुंचा सकता था।
चिड़िया
ने अपनी नई जगह पर
खुशी-खुशी अपने बच्चों के साथ जीवन
बिताया। उसने सीखा कि कभी-कभी
जीवन में आने वाली मुश्किलें हमें बेहतर अवसरों की ओर ले
जाती हैं। ईश्वर हमेशा हमारे साथ हैं और हमें सही
रास्ता दिखाते हैं, बस हमें उनके
संकेतों को समझने की
जरूरत है।
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